Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -01-Jun-2022 - बिल्ली का गंगा स्नान


सोचा था एक दिन बिल्ली ने,
जो रहती थी कहीं दिल्ली में।
पाप अब तक बहुत किए मैंने,
चूहे बहुत सारे यहां खाए मैंने।
पाप धोने गंगा स्नान को जाऊंगी,
पुण्य मैं वहां से कमा कर लाऊंगी।
सोच कर वो बैठ गई एक ट्रक में,
जा रहा गंगा पास थी इस भ्रम में।
अनाज से जा रहा था भरा हुआ,
चूहा भी एक उसमें था लदा हुआ।
नजर पड़ी बिल्ली की जब उस पर,
लगी थी भूख उसको तब जमकर।
देख कर उसको बिल्ली इतराई,
चूहे को देख ट्र्क में वह तो गुर्राई।
सोचा एक चूहा आज और खा लूं,
गंगा स्नान से फिर पुण्य कमा लूं।
ट्रक जा पहुंचा अब अपने गंतव्य,
निभाया था उसने अपना कर्तव्य।
अनाज का वो तो एक गोदाम था,
चूहों ही चूहों का वहां पर राज था।
उल्टे पांव ही वहां से दौड़ी बिल्ली,
रुकी जा कर वो तो सीधा दिल्ली।
गंगा स्नान पर सफर ना विराम हुआ,
पुण्य कमाने का न उसको आराम हुआ।।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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14 Comments

Barsha🖤👑

03-Jun-2022 12:35 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

02-Jun-2022 10:49 AM

बहुत खूबसूरत

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Punam verma

02-Jun-2022 09:07 AM

Nice

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